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ब्लॉग की इस दुनिया के सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा नमस्कार……
आप सब को मेरा धन्यवाद…… मैं आप सब का अत्यंत ही आभारी हूँ कि आप सब को मेरे विचार पसंद आ रहे हैं. मैं कोई लेखक या रचनाकार नहीं हूँ, न ही कोई पत्रकार हूँ. मेरे मन में अनेकों विचार आते रहते हैं उनको ही आप के सामने रखने का प्रयास है मेरा…. मैं इस ब्लॉग कि दुनिया में काफी देर से आया हूँ जबकि कंप्यूटर से मेरा पुराना नाता है. कंप्यूटर ही मेरा करियर है. वैसे लिखता तो मैं पहले से रहा हूँ. लेकिन बीच का कुछ दौर ऐसा आया कि मेरा जीवन भटक गया. जीवन के जोड़-तोड़ में ही फंस गया, सांसारिक और सामाजिक द्वन्द में ही फंस गया. खैर….. देर से ही सही, शुरुआत तो की………..
अक्सर ऐसा होता है की व्यक्ति के मन में बहुत सारे विचार आते हैं परन्तु उन्हें व्यक्त नहीं कर पाता . कुछ लोग ऐसे होते हैं कि अपने विचारों को लिख देते हैं लेकिन उसे अपने पास ही रखे रहते हैं. ब्लॉग वर्चुअल दुनिया का एक ऐसा माध्यम है जहाँ कोई भी व्यक्ति निःसंकोच अपने विचार स्वंत्र रूप से रख सकता है. इसी कारण से मैं इस मंच से जुड़ा भी. इसके लिए मै जागरण समूह को ‘धन्यवाद’ देना चाहूँगा कि उन्होंने ऐसी सुबिधा प्रदान की है कि कोई भी व्यक्ति जो कंप्यूटर और इन्टरनेट का ज्ञान रखता है वह उनसे जुड़ सकता है, अपने विचारों को व्यक्त कर सकता है. मै इस मंच पर आया भी इसलिए हूँ की जो भी विचार मेरे मन में आते हैं उनको प्रदर्शित करूँ. मुझे भाषा का तो बहुत ज्ञान है नहीं. फिर भी मेरा प्रयास है कि कुछ अच्छा ही करूँ.
यहाँ आने पर एक बात पर मुझे आश्चर्य हुआ कि यहाँ भी वही उठा-पटक है जो हमारी बाहरी दुनिया में है. यहाँ भी वर्चस्व कि लड़ाई है, अहम् का टकराव है. मैं अच्छा, मैं बड़ा की बातें है.जब की ऐसा नहीं होना चाहिए. यहाँ बहुत ही अच्छे लोग हैं, अच्छे रचनाकार हैं, अच्छे विश्लेषक हैं. जब सब अच्छे हैं, तो ऐसा क्यों है?
यह तो जागरण की एक व्यवस्था है भले ही इसमे उनका कोई व्यावासिक दृष्टिकोण हो. यह तो एक मंच है जहाँ कोई भी अपने विचार रख सकता है. अब किसको अच्छा लगता है, किसको बुरा लगता है इससे हमारा कोई भी मतलब नहीं होना चाहिए. यह तो हमारी अभिव्यक्ति का माध्यम है. इसके लिए जागरण ‘धन्यवाद’ का पात्र है. यहाँ हमें कोई पारितोषिक नहीं मिलाता. बल्कि हमारा ही लगता है, हमारा समय..हमारे विचार.. और हमारा ही धन. फिर किस बात का झगडा… यह कोई युद्ध स्थल तो है नहीं.. वैसे भी बाहरी दुनिया के लफड़े-झगड़े यहाँ न हो तो ही अच्छा है. अरे क्या हुआ.. जो हमारे विचार किसी को पसंद नहीं आये. क्या हुआ.. जो हमें अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली या फिर हमारी रचना फीचर नहीं हुई. हम कोई पेशेवर पत्रकार, लेखक, विश्लेषक या स्तंभकार तो हैं नहीं. न ही इससे हमारी रोजी-रोटी चलती है. तो फिर किस बात की है लड़ाई………
मेरी बातों का बुरा नहीं मानियेगा. जिनको बुरी लगतीं हैं उनसे मैं क्षमा का प्रार्थी हूँ.चूँकि मुझे कुछ ऐसा महसूस हुआ, तो मैंने अपने दिल की बात कह दी. इसको अन्यथा में न लिया जाये.
वैसे भी मैं जिस दुनिया से आया हूँ वहां पर ऐसा कुछ भी नहीं है. सभी अपने विचार रखते हैं. सभी उसका आनंद लेते हैं. मेरे कई पोर्टल पर अकाउंट हैं. जहाँ पर सभी मेरे मित्र ही हैं.
जीवन में शिकायत का कोई स्थान नहीं होता.न ही जीवन में गिले-शिकवे की कोई जगह है.हम असफल हैं तो यह हमारी कमी है. दूसरों पर दोष मढना गलत है. दूसरों पर दोष मढ़ने का मतलब है अपने आप पर अविश्वास करना….सदैव सार्थक सोच रखनी चाहिए. सकारात्मक सोच से सही दिशा मिलती है…
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